IndiaPrime Minister's Office

Text of PM’s address at the launch of physical distribution of Property Cards under the SVAMITVA Scheme

आज जिन एक लाख लोगों को अपने घरों का स्वामित्व पत्र या प्रॉपर्टी कार्ड मिला है, जिन्होंने अपना कार्ड डाउनलोड किया है, उन्हें मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज जब आप अपने परिवार के साथ बैठोगे, शाम को जब खाना खाते होंगे…तो मुझे पता है‍ कि पहले कभी इतनी खुशी नहीं होती होगी जितनी आज आपको होगी। आप अपने बच्‍चों को गर्व से बता सकोगे कि देखिए अब हम विश्‍वास से कह सकते हैं कि ये आपकी प्रॉपर्टी है, आपको ये विरासत में मिलेगी। हमारे पूर्वजों ने जो दिया था कागज नहीं थे, आज कागज मिलने से हमारी ताकत बढ़ गई। आज की शाम आपके लिए बहुत खुशियों की शाम है, नए-नए सपने बुनने की शाम है और नए-नए सपने के विषय में बच्चो के साथ बातचीत करने की शाम है।  इसलिए आज जो अधिकार मिला है मेरी बहुत बधाई है आपको।

यह अधिकार एक प्रकार से कानूनी दस्‍तावेज है। आपका घर आपका ही है, आपके घर में आप ही रहेंगे। आपके घर का क्‍या उपयोग करना है, इसका निर्णय आप ही करेंगे ।  ना  सरकार कुछ दखल कर सकती है ना अड़ोस-पड़ोस के लोग।

ये योजना हमारे देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली है। हम सभी इसके साक्षी बन रहे हैं।

आज इस कार्यक्रम में मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्रीमान नरेंद्र सिंह तोमर जी हैं , हरियाणा के मुख्‍यमंत्री श्री मनोहर लाल जी हैं, डिप्‍टी सीएम श्री दुष्‍यंत चौटाला जी हैं, उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी हैं, उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री योगी आदित्‍यनाथ जी हैं, मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी हैं, विभिन्‍न राज्‍यों के मंत्रीगण भी हैं, स्‍वामित्‍व योजना के अन्‍य लाभार्थी साथी भी आज हमारे बीच मौजूद हैं। और जैसे नरेंद्र सिंह जी बता रहे थे..सवा करोड़ से ज्‍यादा लोग, उन्‍होंने रजिस्‍ट्री करवाई है और इस कार्यक्रम में हमसे जुड़े हैं। यानि आज वर्चुअल इस मीटिंग में गांव के इतने लोगों का जुड़ना, यह स्‍वामित्‍व योजना का कितना आकर्षण है, कितनी ताकत है और कितना महत्‍वपूर्ण है, इसका सबूत है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है। स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है। आज हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के हज़ारों परिवारों को उनके घरों के कानूनी कागज़ सौंपे गए हैं। अगले तीन-चार साल में देश के हर गांव में, हर घर को इस तरह के प्रॉपर्टी कार्ड देने का प्रयास किया जाएगा।

और साथियों, मुझे बहुत खुशी है कि आज इतना विराट काम एक ऐसे दिन हो रहा है…ये दिवस बहुत महत्‍वपूर्ण है। आज के दिवस का हिन्‍दुस्‍तान के इतिहास में भी बहुत बड़ा महत्‍व है। और वो है आज देश के दो-दो महान सपूतों की जन्‍म जयंति है। एक भारत रत्‍न लोकनायक जयप्रकाश नारायण और दूसरे भारत रतन नानाजी देशमुख। इन दोनों महापुरुषों का सिर्फ जन्‍मदिन ही एक तारीख को नहीं पड़ता, बल्कि यह दोनों महापुरुष देश में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ, देश में ईमानदारी के लिए, देश में गरीबों का, गांव का कल्‍याण हो, इसके लिए दोनों की सोच एक थी…दोनों के आदर्श एक थे…दोनों के प्रयास एक थे।

जयप्रकाश बाबू ने जब संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया, बिहार की धरती से जो आवाज उठी, जो सपने जयप्रकाश जी ने देखे थे…जिस सपनों की ढाल बन करके नानाजी देशमुख ने काम किया। जब नानाजी ने गांवों के विकास के लिए अपने कार्यों का विस्‍तार किया, तो नानाजी की प्रेरणा जयप्रकाश बाबू रहे।

अब देखिए कितना बड़ा अद्भुत सहयोग है गांव और गरीब की आवाज को बुलंद करना, जयप्रकाश बाबू और नानाजी के जीवन का साझा संकल्‍प रहा है।

मैंने कहीं पढ़ा था कि जब डॉक्‍टर कलाम, चित्रकूट में नानाजी देशमुख से‍ मिले तो नानाजी ने उन्‍हें बताया‍ कि हमारे यहां आसपास के दर्जनों गांव, मुकदमों से पूरी तरह मुक्‍त हैं यानी कोई कोर्ट-कचहरी नहीं है- किसी के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं है। नानाजी कहते थे कि जब गांव के लोग विवादों में फंसे रहेंगे तो न अपना विकास कर पाएंगे और न ही समाज का। मुझे विश्‍वास है, स्‍वामित्‍व योजना भी हमारे गांवों में अनेक विवादों को समाप्‍त करने का बहुत बड़ा माध्‍यम बनेगी।

साथियों, पूरे विश्‍व में बड़े-बड़े एक्‍सपर्ट्स इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जमीन और घर के मालिकाना हक की देश के विकास में बड़ी भूमिका होती है। जब सं‍पत्ति का रिकॉर्ड होता है, जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो संपत्ति भी सुरक्षित रहती है और नागरिक का जीवन भी सुरक्षित रहता है और नागरिक में आत्‍मविश्‍वास अनेक गुना बढ़ता है। जब सं‍पत्ति का रिकॉर्ड होता है तो निवेश के लिए, नए-नए साहस करने के लिए, आर्थिक उपार्जन की नई योजना बनाने के लिए बहुत सारे रास्‍ते खुलते हैं।

संपत्ति का रिकॉर्ड होने पर बैंक से कर्ज आसानी से मिलता है, रोजगार-स्‍वरोजगार के रास्‍ते बनते हैं। लेकिन मुश्किल ये है‍ कि आज दुनिया में एक-तिहाई आबादी के पास ही कानूनी रूप से अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड है। पूरी दुनिया में दो-तिहाई लोगों के पास यह नहीं है। ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश के लिए बहुत जरूरी है है कि लोगों के पास उनकी संपत्ति का सही रिकॉर्ड हो। और जिनके नसीब में बुढ़ापा आ गया है, पढ़े-लिखे नहीं हैं, बड़ी मुश्किल से जीवन गुजारा है लेकिन अब ये आने के बाद एक नई विश्‍वास वाली जिंदगी उनकी शुरू हो रही है।

स्‍वामित्‍व योजना और इसके तहत मिलने वाला प्रॉपर्टी कार्ड इसी दिशा में, इसी सोच के साथ पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, गांव में रहता हो…उनकी भलाई के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया है।

प्रॉपर्टी कार्ड, गांव के लोगों को बिना किसी विवाद के प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने का रास्‍ता साफ करेगा। प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद गांव के लोग अपने घर पर कब्‍जे की जो आशंका रहती थी, उससे मुक्‍त हो जायेंगे। कोई आ करके अपना हक जताएगा…झूठे कागज दे जाएगा…ले जाएगा…सब बंद। प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद गांव के घरों पर भी बैंक से आसान लोन मिल जाएगा।

साथियों, आज गांव के हमारे कितने ही नौजवान हैं जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं। आत्‍मविश्‍वास से आत्‍मनिर्भर बनना चाहते हैं। लेकिन घर होते हुए भी, जमीन का टुकड़ा अपने पास होते हुए भी कागज नहीं थे, सरकारी कोई दस्‍तावेज नहीं था । दुनिया में कोई उनकी बात मानने को तैयार नहीं था, उनको कुछ मिलता नहीं था। अब उनके लिए कर्ज प्राप्‍त करने का, हक के साथ मांगने का यह कागज उनके हाथ में आया है। अब स्‍वामित्‍व योजना के तहत बने प्रॉपर्टी कार्ड का दिखाकर, बैंकों से बहुत आसानी से कर्ज मिलना सुनिश्चित हुआ है।

सा‍थियों, इस स्‍वामित्‍व पत्र का एक और लाभ गांव में नई व्‍यवस्‍थाओं के निर्माण को लेकर होने वाला है। ड्रोन जैसी नई टेक्‍नोलॉजी से जिस प्रकार मैपिंग और सर्वे किया जा रहा है, उससे हर गांव का सटीक लैंड रिकॉर्ड भी बन पाएगा। और मैं जब अफसरों से बात कर रहा था…जब प्रोजेक्‍ट शुरू हुआ…तो मुझे अफसरों ने बताया कि गांव के अंदर हम जब प्रॉपर्टी के लिए ड्रोन चलाते हैं तो गांव वाले का अपनी जमीन पर तो इंटरेस्‍ट होना बहुत स्‍वाभाविक है…लेकिन सबकी इच्‍छा रहती थी कि ड्रोन से हमें हमारा ऊपर से हमारा पूरा गांव को हमें दिखाइए, हमारा गांव कैसा दिखता है, हमारा गांव कितना सुंदर है।और हमारे वो अफसर कहते थे कि हमें थोड़ा समय तो सबको गांव वालों को उनका गांव ऊपर से दिखाना… compulsory हो गया था। गांव के प्रति प्रेम जग जाता था।

भाइयो, बहनों, अभी तक अधिकतर गांवों में स्‍कूल, अस्‍पताल, बाजार या दूसरी सार्वजनिक सुविधाएं कहां करनी..कैसे करनी…सुविधाएं कहां होंगी…जमीन कहां है…कोई हिसाब ही नहीं था। जहां मर्जी पडे…जो बाबू वहां बैठा होगा…या जो गांव का प्रधान होगा, और जो कोई जरा दमदार आदमी होगा…जो चाहे करवा लेता होगा। अब सारा कागज के ऊपर नक्‍शा तैयार है…अब कौन सी चीज कहां बनेगी बड़े आराम से तय होगा…विवाद भी नहीं होगा…और सटीक लैंड रिकॉर्ड होने से गांव के विकास से जुड़े सभी काम बड़ी आसानी से होंगे।

साथियो, बीते 6 सालों से हमारे पंचायती राज सिस्टम को सशक्‍त करने के लिए अनेक प्रयास चल रहे हैं, और उनको भी स्वामित्व योजना मजबूत करेगी। अनेक योजनाओं की प्‍लानिंग से लेकर उनके अमल और रखरखाव की जिम्‍मेदारी ग्राम पंचायतों के ही पास है। अब गांव के लोग खुद तय कर रहे हैं कि वहां के विकास के‍ लिए क्या जरूरी है और वहां की समस्याओं का समाधान कैसे करना है।

पंचायतों के कामकाज को भी अब ऑनलाइन किया जा रहा है। यही नहीं, पंचायत विकास के जो भी काम करती है उसकी Geo tagging को अनिवार्य कर दिया है। अगर कुंआ बना है तो ऑनलाइन यहां मेरे ऑफिस तक पता चल सकता है कि किस कोने में कैसा कुंआ बना है। यह टेक्‍नोलॉजी की कृपा है। और यह compulsory है। शौचालय बना है तो Geo tagging होगा। स्कूल बना है तो Geo tagging होगा। पानी के लिए छोटा सा बांध बना है तो Geo tagging होगा। इसके कारण रुपये-पैसे गायब होने वाला काम बंद, दिखाना पड़ेगा और देखा जा सकता है।

साथियो, स्वामित्व योजना से हमारी ग्राम पंचायतों के लिए भी नगर पालिकाओं और नगर-निगमों की तरह व्यवस्थित तरीके से गाँव का मैनेजमेंट आसान होगा। वो गांव की सुविधाओं के लिए सरकार से मिल रही मदद के साथ-साथ, गांव में ही संसाधन भी जुटा पाएंगी। एक प्रकार से गांव में रहने वालों को मिल रहे दस्तावेज़ ग्राम पंचायतों को मजबूत करने में भी बहुत मदद करेंगे।

साथियो, हमारे यहां हमेशा कहा जाता है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन सच्‍चाई यही है कि भारत के गांवों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। शौचायलों की दिक्‍कत सबसे ज्‍यादा कहां थी? गांव में थी। बिजली की परेशानी सबसे ज्‍यादा कहां थी? गांव में थी। अंधेरे में गुजारा किसको करना पड़ता था- गांव वालों को। लकड़ी के चूल्‍हे..धुंऐ में खाना पकाने की मजबूरी कहां थी? गांव में थी…। बैंकिंग व्‍यवस्‍था से सबसे ज्‍यादा दूरी किसको थी? गांव वालों को थी।

साथियों, इतने वर्षों तक जो लोग सत्‍ता में रहे, उन्‍होंने बातें तो बड़ी-बड़ीं करीं, उन्‍होंने गांव और गांव के गरीब को ऐसी ही मुसीबतों के साथ छोड़ दिया था। मैं ऐसा नहीं कर सकता…आपके आशीर्वाद से जितना भी बन पड़ेगा मुझे करना है…आपके लिए करना है…गांव के लिए करना है, गरीब के लिए करना है। पीड़ित, शोषित, वंचित के लिए करना है…ताकि उनको‍ किसी के ऊपर निर्भर न रहना पड़े, दूसरों की इच्‍छा के वह गुलाम नहीं होने चाहिए।

लेकिन साथियों, पिछले 6 वर्षों में ऐसी हर पुरानी कमी को दूर करने के लिए एक के बाद एक कामों को शुरू किया और गांव तक ले गए, गरीब  के घर तक ले गए।  आज देश में बिना किसी भेदभाव, सबका विकास हो रहा है, पूरी पारदर्शिता के साथ सबको योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

अगर स्‍वामित्‍व जैसी योजना भी पहले बन पाती…ठीक है उस समय ड्रोन नहीं होगा…लेकिन गांव के साथ मिल-बैठकर रास्‍ते तो निकाले जा सकते थे…लेकिन नहीं हुआ। अगर ये हो जाता ना बिचौलिए होते, ना रिश्‍वतखोरी होती, ना ये दलाल होते, ना ये मजबूरी होती। अब जो योजना बनी है उसकी ताकत टेक्‍नोलॉजी है- ड्रोन हैं। पहले जमीन की मैपिंग में दलालों की नजर हावी होती थी, अब ड्रोन की नजर से मैपिंग हो रही है। जो ड्रोन ने देखा वही कागज पर दर्ज हो रहा है।

साथियों, भारत के गांवों के लिए, गांव में रहने वालों के लिए जितना काम पिछले 6 वर्षों में किया गया है, उतना आजादी के 6 दशकों में भी नहीं हुआ। 6 दशकों तक गांव के करोड़ों लोग बैंक खातों से वंचित थे। ये खाते अब जाकर खुले हैं। 6 दशकों तक गांव के करोड़ों लोगों के घर बिजली का कनेक्‍शन नहीं था। आज  हर घर तक बिजली पहुंच चुकी है। 6 दशकों तक, गांव के करोड़ों परिवार शौचालय से वंचित थे। आज घर-घर में शौचालय भी बन गए हैं।

साथियों, दशकों तक गांव का गरीब गैस कनेक्‍शन के लिए सोच भी नहीं सकता था। आज गरीब के घर भी गैस कनेक्‍शन पहुंच गया है। दशकों तक गांव के करोड़ों परिवारों के पास अपना घर नहीं था। आज करीब 2 करोड़ गरीब परिवारों को पकके घर मिल चुके हैं और आने वाले बहुत ही कम समय में जो बचे हुए हैं उनको भी पकके घर मिले, इसके लिए मैं जी-जान से लगा हूं। दशकों तक गांव के घरों में पाइप से पानी…कोई सोच नहीं सकता था…तीन-तीन किलोमीटर तक हमारी माताओं-बहनों को सर पर इतना बोझ उठाकर पानी लेने जाना पड़ता था। अब हर घर में पानी पहुंचा है। आज देश के ऐसे 15 करोड़ घरों तक पाइप से पीने का पानी पहुंचाने के लिए जल-जीवन मिशन चलाया जा रहा है।

देश के हर गांव तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने का भी एक बहुत बड़ा अभियान तेजी से जारी है। पहले लोग कहते थे बिजली आती-जाती है…अब लोग शिकायत करते हैं मोबाइल फोन में कनेक्‍शन आता है जाता है। इन समस्‍याओं का समाधान ऑप्टिकल फाइबर में है।

साथियों, जहां अभाव होता है, वहां ऐसी-ऐसी ताकतों का प्रभाव और ऐसी-ऐसी ताकतों का दबाव परेशान करके रख देता है। आज गांव और गरीब को अभाव में रखना कुछ लोगों की राजनीति का आधार रहा है- यह इतिहास बताता है। हमने गरीब को अभावों से मुक्ति का अभियान चलाया है।

भाइयों-बहनों, ऐसे लोगों को लगता है‍ कि अगर गांव, गरीब, किसान, आदिवासी सशक्‍त हो गए तो उनको कौन पूछेगा, उनकी दुकान नहीं चलेगी, कौन उनके हाथ-पैर पकड़ेगा? कौन उनके सामने आ करके झुकेगा? इसलिए उनका यही रहा कि गांव की समस्‍याएं बनी की बनी रहें, लोगों की समस्‍याएं बनी की बनी रहें ताकि उनका काम चलता रहे। इसलिए काम को अटकाना, लटकाना, भटकाना यही उनकी आदत हो गई थी।

आजकल इन लोगों को खेती से जुड़े जो ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं, उनसे भी दिक्‍कत हो रही है। वो लोग बौखलाए हुए हैं। ये बौखलाहट किसानों के लिए नहीं है, अब देश समझने लगा है ना इसकी परेशानी है। पीढ़ी दर पीढ़ी, बिचौलियों, घूसखोरों, दलालों का तंत्र खड़ा करके जो एक प्रकार से मायाजाल बनाकर रख दिया था। देश के लोगों ने इनके मायाजाल को, इनके मंसूबों को ढहाना शुरू कर दिया है।

करोड़ों भारतीयों की भुजाएं जहां एक तरफ भारत के नवनिर्माण में जुटी हैं, वहीं ऐसे लोगों की सच्‍चाई भी उजागर हो रही है। देश को लूटने में लगे रहे लोगों को देश अब पहचानने लगा है। इसलिए ही ये लोग आजकल हर बात का विरोध कर रहे हैं। इन्‍हें ना  गरीब की चिंता है, ना  गांव की चिंता है, ना देश की चिंता है। उनको हर अच्‍छे काम से परेशानी हो रही है। ये लोग देश के विकास को रोकना चाहते हैं। ये लोग नहीं चाहते हैं कि हमारे गांव, गरीब, हमारे किसान, हमारे श्रमिक भाई-बहन भी आत्‍मनिर्भर बनें।   आज हमने डेढ़ गुणा MSP करके दिखाया है, वो नहीं कर पाए थे।

छोटे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड मिलने से जिनकी काली कमाई का रास्‍ता बंद हो गया है, उनको आज समस्‍या हो रही है। यूरिया की नीमकोटिंग से जिनके गैर-कानूनी तौर-तरीके बंद हो गए, दिक्‍कत उन्हें हो रही है।  किसानों के बैंक खातों में सीधा पैसा पहुंचने से जिनको परेशानी हो रही है, वो आज बेचैन हैं। किसान और खेत मजदूर को मिल रही बीमा, पेंशन जैसी सुविधाओं से जिनको परेशानी है, वो आज कृषि सुधारों के विरोध कर रहे हैं। लेकिन किसान उनके साथ जाने के लिए तैयार नहीं, किसान उनको पहचान गया है।

साथियों,  दलालों, बिचौलियों, घूसखोरों, कमीशनबाजों के दम पर राजनीति करने वाले कितना भी चाहें, कितने ही सपने देख लें, कितना ही झूठ फैला लें, लेकिन देश रुकने वाला नहीं है। देश ने ठान लिया है कि गांव और गरीब को आत्‍मनिर्भर बनाना, भारत के सामर्थ्‍य की पहचान बनाना है।

इस संकल्‍प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी बहुत बड़ी है। और इसलिए आज जिन एक लाख परिवारों को इतने कम समय में स्वामित्व योजना का लाभ मिल चुका है। और मैं आज विशेष रूप से नरेंद्र सिंह जी और उनकी पूरी टीम को को भी बधाई दूंगा । उनको भी बधाई दूंगा जिन्‍होंने इतने कम समय में इतना बड़ा काम किया है। काम छोटा नहीं है, गांव-गांव जाना और वो भी इस लॉकडाउन के समय जाना और इतना बड़ा काम करना। इन लोगों का जितना अभिनंदन करें उतना कम है।

और मुझे विश्‍वास है जो हमारे इस सरकार के छोटे –बड़े सब मुलाजिमों ने जो काम किया है, मुझे नहीं लगता कि चार साल इंतजार करना पड़ेगा। अगर वो चाहेंगे तो पूरे देश को इससे भी पहले शायद दे सकते हैं।  क्‍योंकि इतना इतना बड़ा काम…और जब मैंने अप्रेल में इसक बात कही तब मुझे लगता था कि मैं थोड़ा ज्‍यादा ही कह रहा हूं। मैंने देखा, मैंने कहा उससे भी ज्‍यादा कर दिया । और इसलिए ये पूरी टीम नरेंद्र सिंह जी और उनके विभाग के सभी लोग बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं । और साथ-साथ आज जिनको ये लाभ मिला है उन परिवारों का तो एक स्‍वामित्‍व जग गया है, आत्‍मविश्‍वास जग गया है, आपके चेहरे की खुशी मेरे लिए सर्वाधिक खुशी होती है, आपका आनंद मेरे आनंद का कारण होता है । आपके जीवन में भविष्‍य के सपने सजने का जो अवसर पैदा हुआ है वो मेरे सपनों को साकार करता हुआ मुझे दिखाई दे रहा है।

और इसलिए भाइयों-बहनों जितने खुश आप हैं उससे ज्‍यादा खुश मैं हूं क्‍योंकि आज मेरे एक लाख परिवार आत्‍मविश्‍वास के साथ, आत्‍मसम्‍मान के साथ अपनी संपत्ति के कागज के साथ दुनिया के सामने विश्‍वास के साथ खड़े हुए हैं। यह बहुत उत्‍तम अवसर है। और वो भी जेपी के जन्‍मदिन पर है, नाना जी के जन्‍मदिन पर है। इससे बड़ा आनंद और क्या हो सकता है ।

मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं लेकिन साथ-साथ इन दिनों पूरे देश में हम अभियान चला रहे हैं। इस कोरोना कालखंड में मास्‍क पहनने के लिए, दो गज दूरी रखने के लिए, बार-बार हाथ साबुन से धोने के लिए… और आप भी बीमार ना हों, आपका परिवार भी कोई बीमार ना हो, आपके गांव में भी कोई बीमारी ना घुसे, इसके लिए हम सबको चिंता करनी है और हम जानते हैं ये ऐसी बीमारी है जिसकी दुनिया में कोई दवाई नहीं बनी।

आप मेरे परिवारजन हैं…और इसलिए आग्रह से आपसे कहता हूं ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’, इस मंत्र को ना भूलें और पूरी तरह चिंता करें। इसी एक विश्‍वास के साथ मैं फिर एक बार आज बहुत ही आनंददायी पल, सुखद पल, सपनों के पल, संकल्‍प के पल, अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button

Adblock detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker