Text of PM’s address on inauguration of construction work of the Agra Metro Project
नमस्कार,
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, यूपी सरकार में मंत्री चौधरी उदयभान सिंह जी, डॉक्टर डीएस धर्मेश जी, संसद में मेरे साथी प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल जी, श्री राजकुमार चाहर जी, श्री हरिद्वार दुबे जी, अऩ्य जनप्रतिनिधिगण और आगरा के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !! आप सभी को मेट्रो का काम शुरू होने पर बहुत-बहुत बधाई !!आगरा के पास बहुत पुरातन पहचान तो हमेशा रही है।अब इसमें आधुनिकता का नया आयाम जुड़ रहा है।सैकड़ों वर्षों का इतिहास संजोए ये शहर अब 21वीं सदी के साथ कदमताल मिलाने के लिए तैयार हो रहा है।
भाइयों और बहनों,
आगरा में स्मार्ट सुविधाएं विकसित करने के लिए पहले ही लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। पिछले साल जिस Command and Control Centre का शिलान्यास करने का मुझो सौभाग्य मिला था। वो भी बनकर तैयार है। मुझे बताया गया है कि कोरोना के समय में ये सेंटर बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। अब 8 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का ये मेट्रो प्रोजेक्ट आगरा में स्मार्ट सुविधाओं के निर्माण से जुड़े मिशन को और मजबूत करेगा।
साथियों,
बीते छह सालो में यूपी के साथ ही पूरे देश में जिस स्पीड और स्केल पर मेट्रो नेटवर्क पर काम हुआ, वही सरकार की पहचान और प्रतिबद्धता दोनो को दर्शाता है। 2014 तक देश में लगभग 215 किलोमीटर मेट्रो लाईन ऑपरेशनल हुई थी। साल 2014 के बाद के 6 वर्षो में देश में 450 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो लाईन देशभर में ऑपरेशनल है और लगभग 1000 मेट्रो लाईन पर तेज गति से काम भी चल रहा है। आज देश के 27 शहरों में मेट्रो का काम या तो पूरा हो चुका है या फिर काम अलग-अलग चरणो में है। यूपी की ही बात करें तो आगरा मेट्रो सुविधा से जुड़ने वाला ये यूपी का सातवां शहर है और इनके बीच एक और बात बहुत विशेष है। देश में सिर्फ मेट्रो रेल नेटवर्क ही नही बन रहे हैं। ब्लकि आज मेट्रो कोच भी Make in India के तहत भारत में ही बन रहे हैं। यही नही, जो सिग्लन सिस्टम है उसका भी पूरी तरह से भारत में ही निर्माण हो, इस पर भी काम चल रहा है। यानि अब मेट्रो नेटवर्क के मामले में भी भारत आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
आज के नए भारत के सपने उतने ही बड़े हैं, उतने ही विराट हैं।लेकिन सिर्फ सपने देखने से काम नहीं चलता, सपनों को साहस के साथ पूरा भी करना पड़ता है। जब आप साहस के साथ, समर्पण के साथ आगे बढ़ते हैं तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। भारत का सामान्य युवा, भारत के छोटे शहर आज यही साहस दिखा रहे हैं, यही समर्पण दिखा रहे हैं। 20वीं सदी में जो भूमिका देश के मेट्रो शहरों ने निभाई, उसी भूमिका को विस्तार देने का काम अब हमारे आगरा जैसे छोटे शहर कर रहे हैं। छोटे शहरों को आत्मनिर्भर भारत की धुरी बनाने के लिए ही अनेक विकास पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन शहरों में तो हर वो चीज है, जो आत्मनिर्भरता के लिए हमें चाहिए। यहां की भूमि, यहां के किसानों में अपार सामर्थ्य है। पशुधन के मामले में भी ये क्षेत्र देश में अग्रणी है। ऐसे में यहां डेयरी और फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग के लिए, बहुत संभावनाएं हैं। इसके अलावा ये क्षेत्र सर्विस सेक्टर और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी आगे बढ़ रहा है।
साथियों,
आधुनिक सुविधाएं मिलने से, आधुनिक कनेक्टिविटी मिलने से पश्चिमी यूपी का ये सामर्थ्य और बढ़ रहा है। देश का पहला Rapid rail Transport system मेरठ से दिल्ली के बीच बन रहा है। दिल्ली-मेरठ के बीच 14 लेन का एक्सप्रेस-वे भी जल्द ही इस क्षेत्र के लोगों को सेवा देने लगेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेसवे को योगी जी की सरकार पहले ही स्वीकृति दे चुकी है। यही नहीं, यूपी में दर्जनों एयरपोर्ट्स को रीजनल कनेक्टिविटी के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें भी अधिकतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं।
ग्रेटर नोएडा के ज़ेवर में आधुनिक, विश्व स्तरीय ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट से तो इस पूरे क्षेत्र की पहचान पूरी तरह बदलने वाली है।
साथियों,
देश के इंफ्रा सेक्टर की एक बहुत बड़ी दिक्कत हमेशा से ये रही थी कि नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा तो हो जाती थी लेकिन इसके लिए पैसा कहां से आएगा, इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता था। इस वजह से प्रोजेक्ट्स बरसों तक लटके रहते थे, उनमें काम की रफ्तार बहुत धीमी होती थी। नाममात्र का काम होता था। हमारी सरकार ने नई परियोजनाओं की शुरुआत करने के साथ ही, उसके लिए आवश्यक धनराशि के इंतजाम पर भी उतना ही ध्यान दिया है। कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना आज देश में खर्च किया जा रहा है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। अब नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट के तहत 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने की भी तैयारी है। Multi-modal Connectivity Infrastructure Master Plan उसपर भी काम किया जा रहा है। कोशिश ये है कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए पूरी दुनिया से निवेश को आकर्षित किया जाए। इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट में विदेशी निवेश को आसान बनाने के लिए भी हर ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
साथियों,
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, बेहतर कनेक्टिविटी का सबसे अधिक लाभ हमारे टूरिज्म सेक्टर को होता है। मेरा ये हमेशा से मत रहा है कि टूरिज्म एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें हर किसी के लिए कमाई के साधन हैं। कम से कम निवेश में अधिक से अधिक आमदनी टूरिज्म के माध्यम से संभव है। इसी सोच के साथ, देश, लोकल टूरिज्म के लिए वोकल हो, इसके लिए अऩेक स्तरों पर काम चल रहा है।
ताजमहल जैसी धरोहरों के आसपास आधुनिक सुविधाएं विकसित करने के साथ ही टूरिस्टों के लिए Ease of Travelling भी बढ़ाई जा रही है। सरकार ने न सिर्फ e-Visa Scheme में शामिल देशों की संख्या में काफी वृद्धि की है, इसके साथ ही hotel room tariff पर टैक्स को भी काफी कम किया है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी योजनाओं के माध्यम से भी टूरिस्टों को आकर्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार के प्रयासों से भारत अब Travel और Tourism Competitiveness Index में 34वें नंबर पर आ गया है। जबकि 2013 में भारत इसी इंडेक्स में 65वें नंबर पर रुका पड़ा था। आज वहां से इतनी प्रगति हुई है।
मुझे उम्मीद है, जैसे-जैसे कोरोना की स्थिति सुधरती जा रही है, वैसे ही बहुत जल्द ही टूरिज्म सेक्टर की रौनक भी फिर से लौट आएगी।
साथियों,
नई सुविधाओं के लिए, नई व्यवस्थाओं के लिए रिफॉर्म्स बहुत ज़रूरी हैं। हम पिछली शताब्दी के कानून लेकर के अगली शताब्दी का निर्माण नहीं कर सकते। जो कानून पिछली शताब्दी में बहुत उपयोगी हुए वो अगली शताब्दी के लिए बोझ बन जाते हैं और इसलिए रिफॉर्म की लगातार प्रक्रिया होती चली है। लोग अक्सर सवाल पूछते हैं कि पहले की तुलना में अब हो रहे रिफॉर्म्स ज्यादा बेहतर तरीके से काम क्यों करते हैं? पहले की तुलना में अब अलग क्या हो रहा है? कारण बहुत ही सीधा है। पहले रिफॉर्म्स टुकड़ों में होते थे।कुछ सेक्टरों, कुछ विभागों को ध्यान में रखते हुए होते थे। अब एक संपूर्णता की सोच से रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। अब जैसे शहरों के विकास को ही हम ले लें। शहरों के विकास के लिए हमने 4 स्तरों पर काम किया है। बीते समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान हो, जीवन ज्यादा से ज्यादा सुगम हो, ज्यादा से ज्यादा निवेश हो, और शहरों की व्यवस्थाओं में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग अधिक हो।
भाइयों और बहनों,
रियल एस्टेट सेक्टर की क्या स्थिति थी इससे हम भलीभांति परिचित हैं।
घर बनाने वालों और घर खरीदारों के बीच भरोसे की एक खाई आ चुकी थी।
कुछ गलत नीयत वाले लोगों ने पूरे रियल एस्टेट को बदनाम करके रखा था, हमारे मध्यम वर्ग को परेशान करके रखा था। इस परेशानी को दूर करने के लिए RERA का कानून लाया गया। हाल में कुछ रिपोर्ट्स जो आई हैं वो बताती हैं कि इस कानून के बाद मिडिल क्लास के घर तेज़ी से पूरे होने शुरु हुए हैं। इसी तरह हमारे शहरों में एक और बड़ी समस्या है, बड़ी संख्या में खाली पड़े घरों की। ये तब है जब बड़ी आबादी को किराए पर घर मिलने में भी परेशानी होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए भी एक मॉडल कानून बनाकर राज्यों को दिया जा चुका है।
साथियों,
शहरों का जीवन आसान बनाने के लिए आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लेकर हाउसिंग तक चौतरफा काम चल रहा है। यहां आगरा से ही प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए 1 करोड़ से ज्यादा घर स्वीकृत हो चुके हैं। शहर के मध्यम वर्ग के लिए भी पहली बार घर खरीदने के लिए मदद दी जा रही है। अब तक साढ़े 12 लाख से ज्यादा शहरी मध्यम वर्गीय परिवारों को भी घर खरीदने के लिए लगभग 28 हज़ार करोड़ रुपए की मदद दी जा चुकी है। अमृत मिशन के तहत देश के सैकड़ों शहरों में पानी, सीवर जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जा रहा है। शहरों में सार्वजनिक टॉयलेट्स की बेहतर सुविधाएं हों, waste मैनेजमेंट की आधुनिक व्यवस्था हो, waste मैनेजमेंट को priority देने के तरीके हों इसके लिए स्थानीय निकायों को मदद दी जा रही है।
भाइयों और बहनों,
आज शहरी गरीब को मुफ्त इलाज मिल रहा है और मध्यम वर्ग को सस्ती दवाएं मिल रही हैं, सस्ती सर्जरी उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की कोशिशों से बिजली से लेकर मोबाइल फोन तक उस पर खर्च बहुत कम हुआ है। एजुकेशन लोन से लेकर होमलोन तक ब्याज़ की दरें कम की गई हैं। ये भी पहली बार हुआ है जब रेहड़ी, ठेले, फेरी वाले छोटे उद्यमियों को बैंकों से सस्ता ऋण उपलब्ध कराया गया है। यही तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है।
भाइयों और बहनों,
ये जो रिफॉर्म्स बीते कुछ समय से किए जा रहे हैं, उनसे देश में नया आत्मविश्वास आया है। विशेषतौर पर देश की बहनों, बेटियों तक जिस प्रकार सरकारी लाभ पहुंचा है, वो सचमुच में अगर बारीकियों में जाएंगे तो आपको भी संतोष देगा। पहले की तुलना में आपके अंदर भी एक नया विश्वास भरेगा। हर रोज़ दूर-सुदूर से अनेक चिट्ठियां मुझे मिल रही हैं। मीडिया के माध्यम से बहनों-बेटियों की भावनाएं मुझ तक पहुंच रही हैं। माताओं-बहनों के इसी आशीर्वाद से मैं वाकई भावविभोर हूं। देश की बहनों-बेटियों, देश के युवाओं, देश के किसानों, देश के श्रमिकों, कर्मचारियों, व्यापारियों का विश्वास बीते हर चुनाव में दिख रहा है। यूपी सहित देश के कोने-कोने में चुनाव के नतीजों में ये विश्वास झलक रहा है। 2-3 दिन पहले तेलंगाना में, हैदराबाद में गरीब और मध्यम वर्ग ने सरकार के प्रयासों को अभूतपूर्व आशीर्वाद दिया है। आपका साथ और समर्थन ही मेरी प्रेरणाशक्ति है। देशवासियों की छोटी से छोटी खुशी मुझे नए नए काम करने की हिम्मत देती है। नए initiative लेने की ताकत देती है। ताकि मैं आपकी भलाई के लिए और ज्यादा कर सकूं। आत्मनिर्भरता का ये आत्मविश्वास यूं ही निंरतर मज़बूत होता रहे, विकास के कार्य ऐसे ही बढ़ते चलें, इसी कामना के साथ आपको मेट्रो प्रोजेक्ट की फिर से बहुत बधाई !!
लेकिन एक बात मैं जरूर याद कराऊंगा, कोरोना के टीका का इंतजार है और पिछले दिनों में जब वैज्ञानिकों से मिला तो अब कोई ज्यादा देर होगी ऐसा नही लगता है। लेकिन संक्रमण के बचाव को लेकर हमारी सावधानी में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। मास्क, दो गज़ की दूरी ये बहुत ज़रूरी है। आप इसका ध्यान रखेंगे, इसी विश्वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत आभार !!
धन्यवाद।